नवरतनगढ़ – भूला-बिसरा धरोहर
नवरतनगढ़
– भूला-बिसरा धरोहर 🏰✨
कुछ
यात्राएँ हमें यादें देकर
जाती हैं, तो कुछ
हमें इतिहास के भूले हुए
पन्नों से रूबरू कराती
हैं। एक बार फोटोग्राफिक
एसोसिएशन ऑफ झारखंड (JAP) ने एक फ़ोटो
वॉक का आयोजन किया
और मुझे भी शामिल
होने का निमंत्रण दिया।
यात्रा प्रेमी होने के नाते,
मैं इस खोजपूर्ण सफर
को ठुकरा नहीं सका और
अन्य फोटोग्राफ़रों के साथ बस
में सवार हो गया।
राँची से डेढ़ घंटे
की यात्रा के बाद हम
नवरतनगढ़ पहुँचे, जिसे दोइसागढ़ के नाम से
भी जाना जाता है—सिर्फ़ 65 किलोमीटर दूर, लेकिन इतिहास
की धुंध में कहीं
खोया हुआ।
पहली
झलक
वहाँ पहुँचकर, नागवंशी वंश के उस
कभी भव्य रहे किले
के जर्जर खंडहर देखकर मन व्यथित हो
उठा, जिन्होंने लगभग 2,000 वर्षों तक छोटानागपुर के
पठार पर शासन किया
था। जगह-जगह घूमते
हुए जब मुझे कोई
उपयुक्त फ़्रेम नहीं मिल रहा
था, तभी एक तालाब
दिखा—जिसकी सतह पर फैला
जलकुंभी का हरापन और
उसमें प्रतिबिंबित मुख्य संरचना के अवशेष मानो
यह कह रहे थे
कि खंडहर भी अपनी कहानियाँ
कहते हैं।
इतिहास
की झलक
नवरतनगढ़ का निर्माण 1636–1639 के बीच
राजा दुर्जन शाह ने किया
था, जब नागवंशी वंश
की राजधानी खुखरागढ़ से यहाँ स्थानांतरित
हुई। पत्थर के ब्लॉकों, ईंटों
और चुने के गारे
से बने इस किले
और महल ने सदियों
का समय सहा है।
जो कभी जीवंत राजधानी
थी, वह आज उपेक्षित
खड़ी है—साहस, शक्ति
और कला की कहानियाँ
फुसफुसाती हुई।
नवरत्न
किला, कमल साहि महल
और जगन्नाथ मंदिर के अवशेष अब
भी नागवंशी धरोहर की झलक दिखाते
हैं। समय ने भले
ही अपनी छाप छोड़
दी हो, लेकिन इसकी
स्थापत्य भव्यता अब भी निर्विवाद
है।
क्यों
जाएँ?
राँची के इतने पास
होने के बावजूद, यह
ऐतिहासिक रत्न बहुत कम
जाना-पहचाना है। लेकिन यहाँ
के सुंदर प्राकृतिक दृश्य, ऐतिहासिक खंडहर और स्थापत्य पृष्ठभूमि
इसे इन लोगों के
लिए आदर्श गंतव्य बनाते हैं:
- इतिहास प्रेमी
- फ़ोटोग्राफ़ी के शौकीन 📸
- फ़िल्म निर्माता व डॉक्यूमेंट्री क्रिएटर्स 🎥
- नए अनुभव खोजने वाले यात्री
सर्दियों
में यहाँ का वातावरण
और भी रमणीय हो
जाता है, जिससे यह
जगह कुछ गिने-चुने
लोगों के लिए पिकनिक
स्पॉट भी बन जाती
है।
कैसे
पहुँचें?
- हवाई मार्ग: राँची एयरपोर्ट – लगभग 70 किमी
- रेल मार्ग: मकलुस्कीगंज (27 किमी), राँची (87 किमी), लातेहार (75 किमी), हटिया (74 किमी)
- सड़क मार्ग: राँची से सिसई – लगभग 65 किमी (डेढ़ घंटे की यात्रा)
नवरतनगढ़
में देखने योग्य स्थान
- दोइसागढ़ और नवरत्न किले
- नवरतनगढ़ किले की मुख्य इमारत (जो कभी नौ मंज़िला अद्भुत संरचना थी!)
- दीवारों पर प्राचीन मनोहारी चित्रकारी
अंतिम
विचार
नवरतनगढ़ भले ही अन्य
पर्यटन स्थलों जितना प्रसिद्ध न हो, लेकिन
यह इतिहास का अनमोल ख़ज़ाना
है, जो पुनः खोजे
जाने की प्रतीक्षा कर
रहा है। इसे केवल
खंडहर नहीं, बल्कि झारखंड की गौरवशाली धरोहर
के रूप में पहचान
और संरक्षण की आवश्यकता है।
यदि आप उन यात्रियों
में से हैं जो
पत्थरों में छुपी कहानियाँ
ढूंढते हैं, तो नवरतनगढ़
को अपनी यात्रा सूची
में ज़रूर शामिल करें।
📸 पाठ एवं फोटो – अशोक करण
🔗
ashokkaran.blogspot.com
👉 कृपया लाइक, शेयर और सब्सक्राइब करें, ताकि और यात्रा कहानियाँ आप तक पहुँचती रहें!
हैशटैग्स
#नवरतनगढ़ #भूलाबिसराधरोहर #नागवंशीवंश #झारखंडडायरी #इतिहासकेसाथयात्रा #भारतकेछुपेरत्न #फोटोवॉककहानियाँ #धरोहरफ़ोटोग्राफ़ी #यात्राब्लॉगरइंडिया
#AshokKaran

टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें