प्रेम और समर्पण की एक गाथा
प्रेम और समर्पण की एक गाथा ❤️
हाल ही में, मैं अपने प्रिय मित्र विजय से मिलने गया, जो पिछले एक साल से बिस्तर पर हैं। उन्हें इस नाजुक स्थिति में देखना—न बोल पाने, न बिस्तर से उठ पाने, और न ही हिलने-डुलने में सक्षम होना—वाकई दिल तोड़ देने वाला था। लेकिन इस कठिन समय में एक चीज़ सबसे अलग नजर आई: उनकी पत्नी अनीता का अटूट प्रेम और समर्पण, जिन्हें विजय प्यार से "अन्नू" कहकर बुलाते हैं।
अनीता समर्पित देखभाल का प्रतीक हैं। वे बिना थके विजय के पास खड़ी रहती हैं, उनकी देखभाल, आराम और भलाई का पूरा ध्यान रखती हैं। उनका प्रेम निस्वार्थ है—वे उन्हें ट्यूब के जरिए भोजन कराती हैं, उनके नैपी बदलती हैं, और उन्हें बोलने के लिए प्रेरित करती हैं, भले ही वह एक हल्की सी फुसफुसाहट ही क्यों न हो। वह दिल से सुनती हैं, दयालुता से बोलती हैं, और एक ऐसी कोमलता से उनकी देखभाल करती हैं, जो आज की दुनिया में दुर्लभ है।
इन कठिनाइयों के बावजूद, उनका संकल्प अडिग बना हुआ है। वे निरंतर प्रार्थना करती हैं, विजय के स्वस्थ होने की उम्मीद में, जैसे पौराणिक सावित्री ने सत्यवान को मृत्यु के मुख से वापस लाया था। अनीता की शक्ति, धैर्य और समर्पण हमें सच्चे प्रेम और प्रतिबद्धता का अर्थ सिखाते हैं।
मैं अपने मित्रों और पाठकों से विनम्र निवेदन करता हूँ कि वे विजय और अनीता के लिए प्रार्थना करें। ईश्वर करे कि उनके अटूट प्रयास रंग लाएँ और विजय को शक्ति व स्वास्थ्य प्राप्त हो।
📸 तस्वीरों में:
1️⃣ अनीता अपने पति को ट्यूब के माध्यम से भोजन कराते हुए।
2️⃣ अनीता विजय की बातें ध्यानपूर्वक प्रेम और देखभाल से सुनते हुए।
✍️ टेक्स्ट और तस्वीरें: अशोक करन
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